शुक्रवार 18 अप्रैल 2025 - 09:09
इमाम की ज़रूरत क्या है?

हौज़ा / शिया मत का मानना है कि अल्लाह के बंदों के मार्गदर्शन का सिलसिला पैग़म्बरों, ख़ासकर हज़रत मुहम्मद (स) के बाद, "इमामत" के ज़रिए जारी रहा है। ज़मीन कभी भी अल्लाह के ख़लीफ़ा (इमाम) से ख़ाली नहीं होती, जो बंदों को सही राह दिखाने की ज़िम्मेदारी संभालते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क़ुरआन और पैग़म्बर (स) की सुन्नत के होते हुए इमाम की ज़रूरत ही क्यों है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इमाम के वजूद की ज़रूरत पर कई दलीलें दी गई हैं, लेकिन हम यहाँ सिर्फ़ एक सरल व्याख्या पर ध्यान देंगे:

जिस तर्क और दलील से पैग़म्बर की ज़रूरत साबित होती है, वही तर्क और दलील इमाम की ज़रूरत भी साबित करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस्लाम आख़िरी दीन है और हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के आख़िरी पैग़म्बर हैं। इसलिए, इस्लाम को क़यामत तक इंसानों की सारी ज़रूरतों का जवाब देना होगा।

दूसरी ओर, क़ुरआन-ए-करीम ने अल्लाह के अहकाम और मआरिफ़ के बुनियादी सिद्धांत बताए हैं, और इनकी व्याख्या व स्पष्टीकरण की ज़िम्मेदारी पैग़म्बर मुहम्मद (स) को सौंपी गई है। 1

लेकिन यह स्पष्ट है कि पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने मुसलमानों के नेता के रूप में, अपने समय के इस्लामी समाज की ज़रूरतों और क्षमताओं के अनुसार अल्लाह की आयतों को समझाया। इसलिए, उनके लिए योग्य उत्तराधिकारियों (इमामों) का होना ज़रूरी है जो उनकी तरह अल्लाह के अनंत ज्ञान से जुड़े हों, ताकि जिन बातों को पैग़म्बर (स) ने विस्तार से नहीं समझाया, उन्हें स्पष्ट कर सकें और हर युग में मुस्लिम समाज की ज़रूरतों का जवाब दे सकें।

पैग़म्बर (स) से वर्णित शिया और सुन्नी हदीस मे आया हैः

«اِنّی تارِکٌ فیکُمُ الثَّقَلَینِ کِتابَ اللّهِ وَ عِتْرَتی؛ ما اِنْ تَمَسَّکْتُمْ بِهِما لَنْ تَضِلّوُا بَعْدی اَبَداً.» 

«इन्नी तारेकुन फ़ीकोमुस सक़लैन किताबल्लाहे व इत्रती, मा इन तमस्सकतुम बेहेमा लन तज़िल्लू बादी अबदा» 2 

"मैं तुम्हारे बीच दो अनमोल चीज़ें छोड़े जा रहा हूँ: क़ुरआन और मेरे अहलेबैत। जब तक तुम इन दोनों को थामे रहोगे, मेरे बाद कभी गुमराह नहीं होगे।" 

इस हदीस के अनुसार, क़ुरआन के साथ पैग़म्बर (स) के अहलेबैत का होना अनिवार्य है।

साथ ही, इमाम (अ) पैग़म्बर (स) के छोड़े हुए विरासत के संरक्षक और क़ुरआन-ए-करीम के वास्तविक व्याख्याकार हैं, ताकि अल्लाह का धर्म दुश्मनों और स्वार्थियों की ओर से होने वाले तब्दीलियों से सुरक्षित रहे और यह पवित्र स्रोत क़यामत तक निर्मल बना रहे।

इसके अलावा, इमाम एक इंसान कामिल के रूप में मानवीय पहलुओं (आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक) में एक आदर्श उदाहरण हैं। मनुष्य को ऐसे कामिल नमूने की सख़्त ज़रूरत है, ताकि वह उनके मार्गदर्शन में अपने इंसानी कमाल तक पहुँच सके और अपने नफ़्स (अहंकार) व बाहरी शैतानी फ़ितनों से बचा रह सके।

इस संबंध मे इमाम सादिक़ (अ) का फरमान हैः

«إِنَّ اَلْأَرْضَ لاَ تَخْلُو إِلاَّ وَ فِیهَا إِمَامٌ کَیْمَا إِنْ زَادَ اَلْمُؤْمِنُونَ شَیْئاً رَدَّهُمْ وَ إِنْ نَقَصُوا شَیْئاً أَتَمَّهُ لَهُمْ»

«इन्नल अर्ज़ा ला तखलू इल्ला व फ़ीहा इमामुन कयमा इन ज़ादल मोमेनूना शैअन रद्दहुम व इन नक़सू शैअन अतम्महू लहुम» 3 

"ज़मीन कभी भी इमाम से ख़ाली नहीं रहती, ताकि अगर मोमेनीन ने (दीन में) कुछ बढ़ाया हो, तो वह उन्हें (इस गलत रास्ते से) वापस ले आए, और अगर उन्होंने कुछ कम किया हो, तो उनके लिए उसे पूरा कर दे।

उपरोक्त चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि लोगों के लिए इमाम की आवश्यकता जिंदगी की ज़रूरत है, और इमाम के कुछ प्रमुख कर्तव्य इस प्रकार हैं:

- रहबरी और समाज के कार्यों का प्रबंधन (सरकार का गठन)
- दीन और पैग़म्बर (स) के आदर्शों को तब्दीली से बचाना और क़ुरआन की सही व्याख्या
- लोगों की आत्माओं को शुद्ध करना और आध्यात्मिक मार्गदर्शन 4

 फ़ुटनोटः

1- क़ुरआन पैग़म्बर (स) को संबोधित करते हुए कहता है: "हमने यह ज़िक्र (क़ुरआन) तुम पर नाज़िल किया है ताकि तुम लोगों के लिए वह चीज़ें स्पष्ट कर दो जो उनकी ओर नाज़िल की गई हैं" (सूर ए नहल, आयत 44)।

2- बिहार उल अनवार, भाग 2, पेज 100

3- काफ़ी, भाग 1, पेज 187

4- यह कहना ज़रूरी है कि "सरकार का गठन" मासूम इमाम के लिए उस समय की परिस्थितियों और स्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन बाक़ी कर्तव्य (जैसे मार्गदर्शन, तफ़सीर) ग़ैबत के दौरान भी जारी रहते हैं, हालाँकि इमाम के ज़ोहूर और लोगों के बीच स्पष्ट रूप से मौजूद होने पर ये अधिक स्पष्ट और व्यावहारिक रूप से दिखाई देते हैं। एक दूसरी बात यह कि यहाँ जो कुछ कहा गया है, वह लोगों की मानवी ज़रूरतों में इमाम की आवश्यकता से संबंधित है। जहाँ तक पूरी दुनिया को "इमाम के वुजूद" की ज़रूरत का सवाल है, वह "ग़ैबत में इमाम के फ़ायदे" के विषय में आगे चर्चा की जाएगी। इंशाअल्लाह।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha